अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा ने संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश संगठन ने मंत्रियों के कामकाज पर नजरें टिका दी हैं। अब मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में सत्ता और संगठन दोनों के लिए काम करना होगा। नवाचार यह है कि इनके कार्य मूल्यांकन की रिपोर्ट जिला संगठन के पदाधिकारी तैयार करेंगे।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को सत्ता से बाहर होकर भुगतना पड़ा था। अगले विधानसभा चुनाव में यह स्थिति न बने, इसके लिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात को तवज्जो दी है। मंत्रियों के जिलों के दौरे के दौरान बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इससे कार्यकर्ताओं की यह शिकायत दूर होगी कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है। पिछली कई बैठकों में यह बात सामने आई है कि कार्यकर्ता बहुत खुश नहीं हैं। उनकी भूमिका स्वागत-सत्कार और जिम्मेदारियां निभाने भर की रह गई है। अब जबकि मंत्रियों के जिलों के दौरे की रिपोर्ट जिला संगठन के पदाधिकारियों की ओर से भेजी जाएगी तो मंत्री भी कार्यकर्ताओं की बात को महत्व देंगे।
मंत्रियों के जिलों के दौरे की गतिविधियों की इसी रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में मंत्रिमंडल के गठन या पुनर्गठन में उनकी भूमिका का निर्धारण होगा। यह रिपोर्ट मंत्रियों की दक्षता भी साबित करेगी। अब तक जिला योजना समितियों की बैठक और जिला मुख्यालय पर अधिकारियों से मेल-मुलाकात तक सीमित रहने वाले मंत्रियों को औपचारिकताओं से दूर रहकर धरातल पर काम करना होगा।