मजदूरी करने वाला बन गया देश का प्रतिभाशाली धावक...
Report By: | 02, Feb 2021
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भोपाल। एथलेटिक्स में सात स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक सहित 10 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पदक अपनी झोली में डालने वाला मध्य प्रदेश का सुनील डावर कभी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए खेतों में मजदूरी करता था। हाल ही में भोपाल में आयोजित हुए 18वें राष्ट्रीय जूनियर फेडरेशन कप अंडर-20 में 2015 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए उसने स्पर्धा का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। एक छोटे से गांव से निकलकर सुनील के नेशनल चैंपियन बनने की यह कहानी बिल्कुल फिल्मी है, लेकिन हकीकत है। माता-पिता, भाई-बहन जीवनयापन के लिए अभी भी मजदूरी कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के गांव टांडा बरुड़ में 12 साल की उम्र से सुनील ने मजदूरी करना शुरू की थी। तीन साल तक मजदूरी करने के बाद किस्मत बदली। एक बार स्कूल की शिक्षिका प्रीति गुप्ता ने दौड़ लगवाई। उसमें अच्छा प्रदर्शन किया तो उसे जिला, संभाग और राज्य स्तर पर खेलने का मौका मिला। 2017 में शालेय क्रॉस कंट्री रेस (पांच किमी दौड़) के लिए चयन हुआ और वहां स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद से वह मप्र एथलेटिक्स अकादमी के कोच एसके प्रसाद की देखरेख में अपनी प्रतिभा निखार रहा है।

सुनील ने भोपाल में जनवरी में आयोजित तीन दिवसीय चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीते। 1500 मीटर की दौड़ में सुनील ने तीन मिनट 48.54 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता। सुनील ने इसी स्पर्धा में 2015 में हैदराबाद में शशिभूषण द्वारा स्थापित तीन मिनट 51.16 सेकंड के राष्ट्रीय रिकार्ड को तोड़ा था। सुनील ने दूसरा स्वर्ण पदक पांच हजार मीटर दौड़ में भी जीता।

सुनील ने कहा - मेरा लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। फिलहाल 2022 में होने वाली एशियन चैंपियनशिप की तैयारी में जुटा हूं। छह से 10 फरवरी को गुवाहाटी में होने वाली जूनियर नेशनल चैंपियनशिप भी खेलने जाऊंगा। प्रशिक्षक एसके प्रसाद के मुताबिक सुनील में क्षमता है। जिस तरह से वह मेहनत कर रहा है, ओलंपिक तक का सफर बहुत मुश्किल नहीं है।


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