तेज रफ्तार मे व्यस्ततम मार्ग से दिन रात निकलते है नाबालिग व नौजवान, इन्हे नही है किसी का डर
Report By: Desk | 26, Oct 2024
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आखिर कब होगी साइलेंसर से पटाखे की आवाज छोड़ने वालो पर भी कार्यवाई

जावद।  तेज रफ्तार मे व्यस्ततम मार्गो से दिन रात निकलने वाले नाबालिग व नौजवान वाहन चालको को किसी का डर नही है , डर है तो सिर्फ जावद की जनता को जो कभी भी इनकी तेज रफ्तार का शिकार हो सकते है। इन तेज रफ्तार वाहन चालकों पर प्रशासन भी सख्‍त नही है। इतना ही नही कुछ आवाज वाले साइलेंसर वाले भी इन दिनों घूम रहे है जो मार्गो से निकलने वाली महिलाओं के सामने तेज आवाज में साईलेंसरो से फटाखे फोड़ रहे है । इनकी तेज रफ्तार से कभी भी हो दुर्घटना हो सकती है । दोपहिया वाहनों में तेज आवाज का साइलेंसर से इन दिनों नगरवासियों के लिए सिरदर्द बन गया है। युवा दोपहिया वाहनों में तेज आवाज वाले साइलेंसर लगाकर नगर की सड़कों में बेधड़क तेजी से वाहन दौड़ा रहे हैं। लेकिन ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई नहीं होने से मनमानी बढ़ती जा रही है। इसके कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। कुछ वाहन चालक नाबालिग भी है।  युवा वर्ग दोपहिया वाहनों में मोडिफाई करवाकर तेज व आवाज निकालने नए साइलेंसर लगवा रहे हैं। बाइक के शौकीन युवा नए साइलेंसर को निकालकर लंबी पाइप वाली साइलेंसर लगा रहे हैं। इसके कारण कई बार पीछे से तेज आवाज आने से राहगीर डर जाते हैं। तेज ध्वनि के साथ फायर, फटाखो की आवाज निकलती है। बाइक की एक्सीलेटर बढ़ाकर गलियों में भी ध्वनि प्रदूषण की जा रही है। जिसके कारण बच्चों, बुजुर्गों, दिल की बीमारी वाले मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। बावजूद पुलिस ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। ज्यादातर बुलेट वाहन में ऐसे साइलेंसर लगाकर युवक बेखौफ सड़कों पर तेज रफ्तार में वाहन दौड़ाते नजर आते हैं। मोटर साइकिल के आने जाने से व्यापारियों के साथ ही रिहायशी इलाके में भी ध्वनि प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
हॉर्न के शोर को 100 डेसीबल से कम करने का सुझाव—
नगरवासी सत्यनारायण ओझा ने बताया कि नगर में प्रेशर हार्न के कारण सबसे ज्यादा मरीज और छात्र परेशान है, आज शहर के हर मुख्य मार्ग पर बड़े-बड़े वाहन और बाइक में इसका उपयोग हो रहा है। मरीज के परिजन इस मामले में शिकायत भी नहीं कर पाते, क्योंकि प्रेशर हार्न का उपयोग करने वाले कहीं भी गाड़ी ले जाकर इसका उपयोग कर रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने हॉर्न के शोर को 100 डेसीबल से कम करने का सुझाव दिया था विशेषज्ञों का कहना है कि 8 घंटे तक 93 डीबी से अधिक ध्वनि के संपर्क में रहने पर कानों की सुनने की क्षमता को नुकसान हो सकता है
तेज ध्वनि से सुनने की क्षमता प्रभावित-
ध्वनि सीमा के लिए बाकायदा कानून भी है लेकिन लोग इसकी परवाह नहीं करते। वाहनों के हॉर्न से निकलने वाली आवाज 100 से 150 डेसीबल तक पहुंच जाती है, नियमों के मुताबिक रिहायशी इलाके में दिन में ध्वनि स्तर 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल होना चाहिए। स्कूलों और अस्पतालों के आसपास 100 मीटर के दायरे में प्रेशर और कान फोड़ू हार्न न बजाने पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी है। इसके बाद भी नियमाें काे ताक पर रखकर यहां प्रेशर हॉर्न वाली गाड़ियां शहर में दाैड़ रही है।  
नाबालिग लड़के भी चला रहे है वाहन-
जावद की सड़कों पर इन दिनों युवाओं के साथ कुछ नाबालिग भी वाहन चला रहे है जिनसे गाड़िया बेलेन्स भी नही होती है यह किसी को भी अपने दुर्घटनाग्रस्त कर सकते है। आरटीओ/पुलिस इन्हें रोकना भी उचित नही समझती, बस कैमरे लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटते नजर आ रहे है, इन्ही कैमरो में देखा जा सकता है।
सुबह शाम सेर करने जाते है नगरवासी-
नगर के बस स्टैंड से नीमच रोड़, स्टेशन रोड़, बावल रोड़ पर बुजुर्ग, महिला, बच्चे प्रतिदिन सुबह-शाम लोग सेर पर जाते है। ऐसे में तेज रफ्तार से निकल रहे इन वाहनों से लोगो में भय व्याप्त है कि कही जानलेवा दुर्घटना न जो जाए। कुछ युवा तो बाइक पर तीन-चार सवार होकर तरह-तरह के स्ट्रेन्थ करते नजर आते है। नगरवासियों ने आरटीओ/पुलिस से तेज रफ्तार व आवाज वाले साइलेंसरो वाहन चालकों पर कार्यवाई करने की मांग की है।


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