देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून आ चुका है। कहीं बारिश कम है तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। बेशक, इस उपमहाद्वीप में मानसून देर से आया। लेकिन, कुछ दिनों से भारी बारिश और सूखा भी रहा है। एक बार फिर इस साल मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कभी तेज गर्मी तो कभी मौसम ठंडा हो जा रहा है।
तापमान में परिवर्तन से होने वाली समस्याएं
तापमान का अचानक से अत्यधिक गर्म से अत्यधिक ठंड होना, मानव शरीर के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। इतने बड़े स्तर पर मौसम में बदलाव होने से उन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है जो पहले से बदलते मौसम की चपेट में आकर बीमार पड़े हों। बाहर (गर्मी) और अंदर (ए सी की ठंड) के तापमान के बीच अचानक और जबरदस्त बदलाव से सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक बीमारी जैसे तनाव और एंग्जाइटी से भी गुजरना पड़ सकता है।
तापमान में बदलाव से अस्थमा का दौरा, नाक बहना, गले में खराश, फ्लू, फैरिन्जाइटिस, साइनसाइटिस, सर्दी, मांसपेशियों में अकड़न और गंभीर दर्द भी हो सकता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये सब बीमारियां गर्मियों में हद से ज्यादा एसी (एयर कंडीशन) का उपयोग करने का परिणाम है। गर्मियों के मौसम में एसी का अनुशंसित तापमान 23 डिग्री सेल्सियस से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
इस तापमान में रहने से बीमारियों की चपेट में आने का खतरा अपेक्षाकृत कम हो जाता है। कोशिश करनी चाहिए कि एयर कंडीशनर को जितना ज्यादा से ज्यादा हो बंद करे और कम तापमान के संपर्क में आने से बचे।
कैसे करें बचाव
ऐसे मौसम में ज्यादा यात्रा करने से बचना चाहिए।
अगर आप किसी गर्म तापमान में हैं तो बारिश में भीगने से बचें।
अगर आप किसी एयर कंडीशन रूप में हैं तो बाहर यानी गर्मी में निकलने से पहले किसी ऐसी जगह रूकें जहां आप अपनी बॉडी का तापमान सामान्य कर सकें।
बारिश के मौसम में रूम का एसी का तापमान ज्यादा रखें, जिससे तापमान में बदलाव का असर शरीर पर न पड़े।
तन को ढककर रखें। बारिश में सिर को भीगने से बचाएं।