नीमच। ज्ञान बताने से बढ़ता है छुपाने से घटता है। मुक्ति देने वाले व ज्ञान देने वाले भगवान शिव है। भक्तों को चाहिए कि शिवालय में जाए यह कार्यों को श्रेष्ठ बनाता है भगवान की भक्ति का कोई अंत नहीं है भगवान के यहां जाएंगे तो हमें करुणा, दया की भीख मिलेगी जो सबका कल्याण करते हैं हमें सब कुछ देते शिव के भजनों में जीवन का सार है । पहले माताएं बहुत कुछ जानती थी कभी भी अपने बच्चों को पीठ दिखा कर नहीं सोची थी परंतु आज इसके विपरीत हो रहा है। जिसके कारण प्रेत आत्माएं शरीर में प्रवेश कर जाती है उनकी रक्षा स्वयं मां काली करती है। प्राचीनकाल गुरु, शिष्य पहले 3 वर्ष तक परीक्षण होता था उसके बाद दीक्षा दी जाती थी आजकल जो दीक्षा दी जा रही है वह दीक्षा नहीं है जिस ज्ञान से शिष्य जन्मजन्मातंरण की वासनाओं से मुक्त हो जाए उसे दीक्षा कहते हैं। जिस क्रिया से दिव्य ज्ञान दिया जाता है जिससे जन्म जन्मातंरण के पापों का नाश हो जाता है उसे दीक्षा कहते हैं। यह बातसंगीतमय शिव महापुराण कथा में पंडित नरेंद्र शास्त्री कचोली ने स्कीम नंबर 36 -ए शीतला माता मंदिर के पास में दोपहर 1:00 से 5:00 तक आयोजित कथा के छठे दिवस व्यक्त किए पं शास्त्री ने कहा की प्रलय को समय से पूर्व देखने की शक्ति सनातन धर्म के ऋषियों में होती है। आचरण शुद्ध होगा तभी धर्म का पालन हो सकता है मानव ने जीवन पर्यंत कितना आहार लिया फिर भी वह संतुष्ट नहीं है जबकि कितनी वस्तुओं का स्पर्श किया संतुष्टि मिली क्या भगवान के नाम का कीर्तन करें तो पांचों इंद्रियां एक जगह आएगी। और मन प्रसन्न होगा। फिल्मी गीतों पर आधारित भजन कीर्तन मनुष्य का ध्यान भटकाते हैं इससे तो माता-बहनें बहने जो लोकगीत एवं लावणनिया गाती है वह भक्तिमय है वह संगीत है भजनों से छेड़छाड़ चिंतन का विषय है मन पवित्र करें वह कीर्तन होता है ध्यान भटकाये वह संगीत होता है ओम जीवन जीने की कला है सभी सुखी हो तो मेरा भला तो स्वत हो जाएगा इंदुरूपी उमा माता है भगवान शंकर ही नाद है आरती और प्रसाद से दुखों का नाश होता है।भजनों पर झूमे श्रद्धालु शिव पुराण कथा के दौरान यह संसार है संसार का झूठा बंधन... शिव सारे कंचन वाली काया रे.... पत्थर की राधा प्यारी पत्थर के कृष्ण हमारा प्यारा लाडला गजानन....आदि स्वर लहरियां बिखर रही थी। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।