देश में इस समय दिवाली को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल है। रोशनी का पर्व दिवाली देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। चूंकि भारत एक विविधता भरा देश है इसलिए दिवाली का पर्व भी भला विविधता से कैसे अछूता रह सकता है। दिवाली को लेकर लोगों में अलग अलग मान्यताएं हैं और इसे मनाने का तरीका भी अलग अलग है। आइए आपको देश में दिवाली से जुड़ी विभिन्न परंपराओं के बारे में बताते हैं। बहुत सी ऐसी बाते हैं शायद जो आप न जानते हों।
देश के उत्तरी हिस्से में कैसे मनती है दिवाली—
उत्तर भारत में दिवाली को लेकर एक आम मान्यता है कि भगवान राम इस दिन वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीये जलाए थे। वहीं इस त्योहार को लेकर यह मान्यता है कि यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार है। उत्तर भारत में लोग दिवाली के रोज रात में दीये जलाते हैं और लक्ष्मी पूजन करते हैं। पटाखे जलाये जाते हैं और मिठाई का वितरण किया जाता है।
पश्चिमी भारत में कैसे मनती है—
दिवाली देश के पश्चिमी हिस्से महाराष्ट्र और गुजरात में दिवाली को व्यापारी और कारोबारी वर्ग बहुत धूमधाम से मनाता है। उनके लिए दिवाली के साथ कारोबारी वर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन व्यापारी वर्ग बही-खातों की पूजा करता है। दीयों से घर सजाते हैं और धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है।
बंगाल में—
पश्चिम बंगाल में दिवाली के दिन मां काली की पूजा की जाती है। इसे काली पूजा कहा जाता है। मान्यता है कि मां काली की इस दिन उपासना करने से बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। यहां भी लोग रोशनी कर खुशी मनाते हैं और त्योहार के जश्न में सराबोर होते हैं।
दक्षिण भारत में—
देश के दक्षिणी हिस्से में दिवाली को ‘नरक चतुर्दशी’ के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस दिन दक्षिण भारत में तेल से स्नान करने और नए कपड़े पहनने की परंपरा है। शाम को लोग पटाखे छोड़ते हैं और मिठाई खाते हैं।
गोवा की अनोखी परंपरा-
गोवा में दिवाली के पहले दिन ‘अखाड़ा’ सजाने का रिवाज है। यहां दिवाली पर नरकासुर की विशाल मूर्तियां बनाई जाती हैं और फिर उनका दहन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।