मध्य प्रदेश के 25 से ज्यादा जिलों में नीलगाय (रोजड़ा) बड़ी समस्या हैं। खेतों में घुसे झुंड किसानों की सारी मेहनत बेकार कर देते हैं। इनसे निपटने के लिए राज्य सरकार नीलगाय के शिकार के नियमों को सरल कर रही है। प्रस्तावित प्रारूप के मुताबिक अब नीलगाय के शिकार की अनुमति एसडीओ वन दे सकेंगे और उन्हें महज एक हफ्ते में निर्णय लेना होगा। इतना ही नहीं, किसान खुद या अपने पड़ोसी, मित्र से भी शिकार करवा सकता है। बशर्ते, उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज न हो लेकिन उसके पास लाइसेंसी बंदूक हो। मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय भेजने से पहले इस प्रारूप को प्रदेश के विधायकों को भेजा गया है। विधायकों के सहमत होने के बाद इसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। नियमों के प्रस्तावित प्रारूप के मुताबिक नीलगाय के शिकार की अनुमति लेने के लिए पीड़ित किसान को एसडीओ के कार्यालय तक भी नहीं जाना होगा। वह ई-मेल या वाट्सएप से आवेदन भेज सकेंगे जिस पर एसडीओ को एक हफ्ते में निर्णय लेना होगा।
अनुमति मिलने पर किसान खुद या उसके मित्र लाइसेंसी बंदूक से नीलगाय का शिकार कर सकेंगे। इसके बाद उसकी पूरी रिपोर्ट भी वन विभाग को देना होगी। प्रदेश में 20 साल पहले (वर्ष 2000) में नीलगाय के शिकार के नियम बने थे पर जटिलता के चलते इन सालों में एक भी व्यक्ति ने शिकार की अनुमति नहीं मांगी जबकि इन दो दशक में नीलगाय का आतंक बढ़ा है। वे खेतों में झुंड बनाकर आते हैं और खड़ी फसल को बर्बाद कर देते हैं। वन विभाग ने उन्हें जंगल की ओर खदेड़ने और नसबंदी करने की भी कोशिश की पर सफल नहीं हुए। उल्लेखनीय है कि मंदसौर, नीमच, छिंदवाड़ा, छतरपुर, रायसेन, विदिशा सहित 25 से ज्यादा जिलों के किसान नीलगाय के आतंक से परेशान हैं।
वर्तमान में शिकार की अनुमति अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से लेने का प्रविधान है। इसके तहत किसान को लिखित आवेदन करना होता है। मंजूरी मिलने पर उसे तय शुल्क जमा करना होता है। तब कहीं एसडीएम जिले के पंजीकृत शिकारी को जिम्मेदारी सौंपते हैं और फिर वह शिकार कर एसडीएम को सूचित करता है। नीलगाय का मांस, खाल, सींग आदि जब्त भी किए जाते हैं।