कोरोना वायरस के बीच नव विक्रमी संवत 2077 को प्रमादी नामक नव वर्ष और चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ बुधवार से हो रहा है। नवसंवत और चैत्र प्रतिपदा से ही सृष्टि का उदभव माना जाता है। कोरोना वायरस को देखते हुए इस बार धर्माचार्यों की सलाह है कि नवरात्र पर्व पर विशेष सावधानी रखें। मानसिक जाप करें। जो लोग शारीरिक रूप से कमजोर हैं या बीमार हैं, वे व्रत नहीं रखें। निर्जल व्रत तो बिल्कुल न रखें।
नवसंवत 2077
चैत्र नवरात्रि में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव ( रामनवमी) भी है। चैत्र नवरात्र पर देवी भगवती ने सृष्टि का संचार किया था। देवी भगवती की उपासना के लिए नौ दिन तक व्रतोपवास रखे जाते हैं। इस बार देवी भगवती नाव पर सवार होकर आ रही हैं। नाव की सवारी उथल-पुथल वाली मानी जाती है। चैत्र प्रतिपदा 24 मार्च दोपहर 2:57 बजे से शुरु होकर 25 मार्च शाम 5:26 बजे तक रहेगी। इसलिए घट स्थापना भी बुधवार को है।
घट स्थापना का मुहूर्त
धर्माचार्यों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्र पर घट स्थापना अवश्य करें।
कलश स्थापना मुहूर्त
लाभामृत विशेष मुहूर्त : सुबह 6.22 बजे से 9.00 बजे तक।
शुभ योग : सुबह 10.30 बजे से 12.00 बजे तक।
शुभ लग्न पूर्ण काल : प्रात: 6.22 बजे से 10.22 बजे तक।
इन बातों का ध्यान रखें
-यदि घट स्थापना के लिए नारियल सहित अन्य सामान की व्यवस्था न हो पाए तो जल-पात्र में सुपारी दो लोंग के जोड़ रख दें।
-चैत्र नवरात्र पर जौं बोएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
-यदि पूजन का सामान नहीं जुटा पाएं हों तो कोई बात नहीं। दीपक जलाकर पूजा कर लें।
-वायरस से बचाव के लिए हवन करें।
-वातावरण शुद्ध करने के लिए पीली सरसो या हल्दी, सेंधा नमक और लोंग से अग्यारी करें।
कोटू न लें
-ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करें।
-कोटू के आटे से परहेज करें क्यों कि यह गर्म होता है, देर से पचता है। जब वायरस फैल रहा हो तो बिल्कुल न खाएं।
-पंच मेवा के रूप में मखानों का प्रयोग करें
-आंवला का सेवन करें।