यादेश्वर महादेव मंदिर भवन के सभागार में आयोजित शिव पुराण कथा
नीमच । अंतरंग में प्रेम के लिए शिवकथा का स्थान होता है जिसने शिव को आश्रय बनाया वह संत बनता है। जिसने काम को आधार बनाया वह संसारी बनता है जिसके कर्म में शिव है जो परमात्मा का चिंतन करता है । उसकी आत्मा का मोक्ष हो जाता है । यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कही । वे राधे- राधे महिला मंडल के तत्वावधान में पटेल स्कूल के सामने यादेश्वर महादेव मंदिर धनेरिया कलां मार्ग स्थित यादेश्वर महादेव मंदिर भवन के सभागार में आयोजित शिव पुराण कथा में गुरुवार को बोल रहे थे ।उन्होंने कहा कि कथा श्रवण के नियम होते हैं। कथा एक ही आसन पर बैठकर ग्रहण करना चाहिए ।कथा के साथ व्रत उपवास भी करना चाहिए ।ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए। पलंग पर नहीं सोना चाहिए ।कथा को श्रवण कर जीवन में आत्मसात करें तभी व सार्थक होती है। कथा श्रवण के साथ किसी की भी निंदा नहीं करना चाहिए तभी उसका फल सार्थक रूप से मिलता है।संसार में कमाया धन यही रह जाएगा हमारे साथ सिर्फ पुण्य परमार्थ जाएगा। गुरु कृपा हो तो सब कुछ मिल सकता है।शिक्षा गुरु तो कोई भी बन सकता है लेकिन दीक्षा गुरु भगवत कृपा से ही बनता है। शिव ने स्वयं विष को धारण किया अपने गले में रखा और नीलकंठ कहलाए।यहां उनका संसार को यह संदेश है कि हम किसी की भी बुराई को अपने गले तक ही रखें उसको दूसरों तक नहीं फैलाएं तो दुनिया में किसी प्रकार की लड़ाई झगड़े नहीं होंगे। पूजा अभिषेक में कच्चे दूध से वंश वृद्धि, दही से रोग दूर होते हैं।घी से आयु बढ़ती है। शहद से लक्ष्मी की कृपा बढ़ती है। शक्कर से दीर्घायु जीवन मिलता है। ।। माता शबरी ने पहले स्वयं बेर को चखा उसके बाद श्री राम को अर्पित किया यहां उनका भाव यह था कि राम को खट्टे बेर नहीं मिले। निरंतर राम का स्मरण करने से जीवन में सफलता मिलती है। स्मरण मात्र से अंतरंग दोष नष्ट हो जाते हैं।शिव स्वयं भी राम स्मरण करते थे । जब-जब धर्म की हानि होती है वहां महापुरुष अवतार लेते हैं। शिव कथा जगत को पावन करने वाली ज्ञान गंगा है ।अहंकार काम क्रोध मोह टूटने से जीवन में सफलता मिलती है यदि हम सुख में शिव का स्मरण करे तो दुख कभी नहीं आता है । धर्म के मार्ग पर चलने वाले का सदैव कल्याण होता है इसलिए बुराई से बचें और धर्म के मार्ग पर चलें अच्छे कार्य करने के बजाय उस उस में बाधक बनना अधर्म है ।मनुष्य जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो निंदा का अपराध करने से बचना चाहिए ।हरी इच्छा को स्वीकार करना मनुष्य का कर्तव्य है। मंदिर में प्रार्थना करने से प्राप्त होता है वह हरि कृपा है। नहीं मिलता है वह भी हरी इच्छा है। हरी इच्छा को हमें स्वीकार करना चाहिए यह मनुष्य का कर्तव्य भी है ।दुख से बड़ी राम नाम की माला है। परमात्मा का स्मरण करेंगे तो दुख आता ही नहीं है। तन मन धन धर्म के साथ रहना चाहिए तभी जीवन सफल होता है कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।