वसंत पंचमी की कहानी
Report By: | 28, Jan 2020
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हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष को वसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन से वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। वसंत पंचमी को शुभ दिन माना जाता है और किसी भी अच्छे कार्य की शुरुआत बिना किसी मुहूर्त की जा सकती है।वसंत पंचमी के दिन सरस्तवती पूजन का भी महत्व है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन खूब शादियां होती हैं। वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती का पूजन करने भी विधान है। पीला रंग इस बात का संकेत है कि फसल पकने वाली हैं। पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। मां शारदा के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

ऐसे हुआ था मां सरस्वती का जन्म:— भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की थी, लेकिन शुरू में इन्सान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और निरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल छिड़कर एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री को प्रकट किया। इसके हाथ में वीणा थी। इसे शक्ति और ज्ञान की देवी मां सरस्वती कहा गया। मां सरस्वती ने जब अपनी वीणा का तार छेड़ा तो तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द तथा वाणी मिल गई। यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।



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