माघ माह की अमावस्या को देशभर में मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्यलाभ मिलता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन भर मौन धारण कर मुनियों जैसा आचरण करना चाहिए। दिन भर मौन रहने और मुनियों की तरह ही आचरण करने के कारण इस अमावस्या का नाम मौनी अमावस्या पड़ा है। माना जाता है कि इस दिन सूर्यनारायण को अर्ध्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है। मौनी अमावस्या के दिन पितृलोक से पितृ संगम में स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि इस तरह देवताओं और पितरों का संगम होता है। यही वजह है कि इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन व्यक्ति को कई गुना और अक्षय फल देता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है। जिन लोगों की कुंडली में शनि भारी है उनके लिए इन चीजों का दान करना और भी जरूरी हो जाता है।