रविवार को अहोई अष्टमी या कालाष्टमी कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ की तरह यह भी निर्जला व्रत होता है। इसलिए महिलाओं को विशेष सावधानी बरतना होती हैं। व्रत शाम 7 बजे खत्म होगा, लेकिन तत्काल से कोई भारी चीज नहीं खाना चाहिए। पहली थोड़ा पानी पीकर व्रत तोड़ें, इसके बाद भोजन करें।
प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और अपने आराध्य देव की पूजा करें। दिनभर सात्विक रूप से रहें। मन में अपने ईष्टदेव के नाम का जाप करते रहें। ध्यान रहें, शाम को व्रत समाप्त होने से पूर्व शूभ मुहूर्त में पूजा करने के बाद ही अन्न ग्रहण करें। दिन में और खासतौर पर दोपहर में भोजन करना अशुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा के बाद तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करें।
इस दिन काले वस्त्र ग्रहण न करें। भगवान के मंदिर में भी काले कपड़ों का इस्तेमाल न करें। दिनभर सकारात्मक विचार मन में रखें औऱ किसी के प्रति बुरी भावना न करें।
मां गौरी के अहोई स्वरुप की पूजा अष्टमी के दिन की जाती है। इस दिन सभी निसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए और जिन महिलाओं की संतान हैं, वे उनकी मंगल कामना के लिए माता अहोई का व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी की पूजा का समय शाम 5.45 से शाम 7.02 बजे तक रहेगा। अहोई माता का ये व्रत रखने और उनकी मन से पूजा करने से अहोई मां उन्हें संतान की लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं। संतान की सलामती से जुड़े इस व्रत का बहुत महत्व है।