अधिकमास शुक्रवार से शुरू होगा, जो 17 अक्टूबर तक चलेगा। तीन साल बाद आए इस मास में 15 दिन शुभ योग के रहेंगे। इस दौरान भगवान विष्णु जी की आराधना, उपासना के साथ ही खरीदारी इत्यादि की जा सकती है। अधिक मास के दौरान सर्वार्थसिद्घि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्घि योग 1 दिन और दो दिन पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। पुष्य नक्षत्र भी रवि और सोम पुष्य होंगे। इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु जी हैं, इसीलिए इस पूरे समय में भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। अधिकमास के आने से नवदुर्गा उत्सव एक माह की देरी से शुरू होगा। इस दौरान 26 सितंबर एवं 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर सर्वार्थसिद्घि योग भी होने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होगी। इसके अलावा 19 व 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग भी है। इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। इस बार अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसी तारीखें होंगी, जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है। यह तिथियां खरीदारी इत्यादि के लिए शुभ मानी जाती है, इसलिए इन तिथियों में की गई खरीदारी शुभ फलकारी होती है।
अधिक मास की यह है कथा:— पौराणिक कथाओं के अनुसार मलमास होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्घार के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा। इसलिए इस माह दान-पुण्य अक्षय फल देने वाला माना जाएगा।