भगवान शिव की पूजा ब्रह्म मुहूर्त से लेकर मध्य रात्रि तक करने का प्रावधान है। महादेव जलाभिषेक से भी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं। भोलेनाथ की आराधना किसी भी तिथि को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शिव आराधना की ऐसी ही एक शुभ तिथि है प्रदोष। प्रदोष तिथि में शाम के समय शिव आराधना करने से पापों का नाश होकर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सप्ताह में अलग-अलग वारों पर आने वाली प्रदोष तिथि पर शिव आराधना करने का अलग-अलग महत्व होता है।
1.रविवार को आने वाली प्रदोष को रवि प्रदोष या भानुप्रदोष कहा जाता हैं। रवि प्रदोष का व्रत करने से सुख, शांति और लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। रवि प्रदोष के दिन भगवान शिव का संबंध सूर्य के साथ रहता है। सूर्य का इस दिन प्रदोष से संबंध होने से नाम, यश और सम्मान की प्राप्ति होती है। कुंडली में अपयश का दोष होने पर रवि प्रदोष का व्रत करना चाहिए ।
2.सोमवार को त्रयोदशी तिथि का संयोग बनने पर प्रदोष सोम प्रदोष कहलाती है। सोम प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी सोम प्रदोष का व्रत रखा जाता है। कुंडली में चंद्र की दशा खराब होने पर सोम प्रदोष के व्रत से समस्या का समाधान होता है।
मंगलवार
3.भौम प्रदोष मंगलवार के दिन होती हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष का व्रत रखना चाहिए। इस दिन प्रदोष का व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने पर कर्ज की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
4.बुधवार के दिन जो प्रदोष होती है उसको सौम्यवारा प्रदोष कहा जाता है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए सौम्यवारा प्रदोष का व्रत करने का प्रावधान है। सौम्यवारा प्रदोष के व्रत से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
5.गुरुवारा प्रदोष गुरुवार को होती है। शत्रु से मुकाबले और विपत्ति के नाश के लिए गुरुवारा प्रदोष का व्रत रखा जाता है। पितरों का आशीर्वाद भी इस प्रदोष का व्रत करने से मिलता है। सफलता प्राप्त करने के लिए गुरुवारा प्रदोष का व्रत रखा जाता है।
6.भ्रुगुवारा प्रदोष शुक्रवार को होती है। भ्रुगुवारा प्रदोष का व्रत सौभाग्य और धन की वृद्धि के लिए किया जाता है। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति इस प्रदोष का व्रत करने से मिलती है।
7.शनि प्रदोष शनिवार को आती है। शनि प्रदोष का व्रत करने से कष्टों का नाश होकर सफलता मिलती है। शनि प्रदोष का व्रत पुत्र की प्राप्ति और नौकरी में पदोन्नति के लिए रखा जाता है।