सरकार से अनुमति मिलने के बाद मध्यम दर्जे के उद्यमी अपना कारोबार शुरू करने लगे हैं, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े छोटे उद्यमियों के सामने अभी भी चुनौती बनी हुई है। सबसे बड़ी दिक्कत कच्चे माल की आपूर्ति की है। दूसरे उनका उत्पाद खरीदने वाली दुकानें भी नहीं खुल रही हैं। जब तक परिवहन बहाल नहीं होगा, तब तक इन उद्योगों में गति भी नहीं आएगी।
दवा उत्पाद और फूड प्रोसेसिंग पर कोई अंकुश नहीं रहा, लेकिन लॉकडाउन के चलते श्रमिकों के घरों में सिमट जाने और बहुतों के अपने गांव-घर चले जाने से कारोबार ठप हो गया। सबसे बड़ी जरूरत उत्पाद के लिए कच्चे माल की आ गई। मसलन टोमैटो सॉस के लिए टमाटर चाहिए। शुरू में मंगाए टमाटर से उत्पाद हुआ, लेकिन बाद में उसे बंद करना पड़ा। इसी तरह चिप्स के लिए आलू की पूर्ति न होने से कारोबार बंद करना पड़ा। नमकीन, चूड़ा, मसाला या ऐसे बहुत से उत्पादन ठप हो गए। उद्यमियों के सामने बैंक के कर्ज का ब्याज, बिजली का बिल, श्रमिकों का वेतन और अन्य सभी खर्च यथावत बने रहे।
उद्यमियों ने सरकार से गुहार लगाई, लेकिन उनके हित में कोई संतोषजनक एलान नहीं हुआ। एक बार फिर उद्यमियों ने कमर कसी है, लेकिन संसाधनों की चुनौतियों ने परेशानी बढ़ा दी है। पैकेजिंग की चुनौती बरकरार लॉकडाउन के चलते खाद्य प्रसंस्करण से जुडे उत्पादों को अंतिम रूप देने वाले कारोबारी भी निष्क्रिय हो गए। नतीजा यह है कि टोमैटो सॉस हो, चिप्स या अन्य उत्पाद, उनकी पैकेजिंग की चुनौती बरकरार है। छोटे उद्यमियों के कारोबार की पूरी साइकिलिंग बिगड़ गई है। पूरी चेन टूट जाने की वजह से नए सिरे से कारोबार शुरू करने में कठिनाई आ रही है।
बहुत से ऐसे भी उद्यमी हैं जो किसी न किसी ब्रांडेड फर्म के लिए काम करते हैं। बड़ी फर्म से ऑर्डर न मिलने की स्थिति में भी वे अपना कार्य शुरू नहीं कर पा रहे हैं। मंडीदीप इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके जैन कहते हैं कि यह चुनौती बड़ी है, लेकिन सरकार इस कठिन समय में उद्यमियों को सहारा दे तो कठिनाई दूर हो सकती है। बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही उनके ऊपर आर्थिक दबाव को दूर करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। अगर इस परिस्थिति में उद्यमियों को सहयोग नहीं मिला तो उनकी हिम्मत टूट जाएगी।